Importance of Japa (recitation)
Vishnu Purana
As mentioned in Vishnu Puran 6.2.17
ध्यायन् कृते यजन् यज्ञैस्त्रेतायां द्वापरेऽर्चयन्।
यदाप्नोति तदाप्नोति कलौ संकीर्त्य केशवम्।।
सत्ययुग में भगवानका ध्यान, त्रेता में यज्ञों द्वारा और द्वापर में पूजन करके मनुष्य जो फल पाता है वह कलियुग में केशव का कीर्तन मात्र करने से प्राप्त कर लेता है।
Manu Smriti
Similarly it is said by Lord Manu, in Manu Smriti 2.87
जप्येनैव तु संसिध्येद् ब्राह्मणो नात्र संशय:।
कुर्यादन्यन्न वा कुर्यान्मैत्रो ब्राह्मण उच्यते ॥
ब्राह्मण केवल जप से ही सिद्ध हो सकता हैं, और कुछ करे या न करे।
Mahabharata
जपस्तु सर्वधर्मेभ्यः परमो धर्म उच्यते ।
अहिंसया च भूतानां जपयज्ञा: प्रवर्तते ॥
सम्पूर्ण धर्मों में जप सर्वश्रेष्ठ धर्म कहा जाता है।
Bhagavata Gita
श्रीभगवान् ने भी श्रीमद्भागवतगीता 10.25, जपयज्ञ को सब यज्ञों में श्रेष्ठ बतलाते हैं –
“यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि” – यज्ञों में जपयज्ञ हूँ