Satyam vada dharmam chara (सत्यं वद। धर्मं चर )

Satyam vada dharmam chara mantra

This mantra is said by a teacher to his brahmachari guiding them, that how they should perform their duties as a grihastha ( being a householder )

सत्यं वद। धर्मं चर। स्वाध्यायान्मा प्रमदः। means “Speak the truth. Abide by your dharma. Never be idle in your studies”

The source of “Satyam vada dharmam chara” mantra is Taittiriya Upanishad, Shikshavalli 11.1

“Satyam vada dharmam chara” in Sanskrit with Hindi meaning

वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति। सत्यं वद। धर्मं चर। स्वाध्यायान्मा प्रमदः। आचार्याय प्रियं धनमाहृत्य प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः।सत्यान्न प्रमदितव्यम्‌। धर्मान्न प्रमदितव्यम्‌।कुशलान्न प्रमदितव्यम्‌। भूत्यै न प्रमदितव्यम्‌।स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम्‌। देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम्‌।

वेद के शिक्षण के पश्चात् आचार्य आश्रमस्थ शिष्यों को अनुशासन सिखाता है । सत्य बोलो । धर्मसम्मत कर्म करो । स्वाध्याय के प्रति प्रमाद मत करो । आचार्य को जो अभीष्ट हो वह धन (भिक्षा से) लाओ और संतान-परंपरा का छेदन न करो (यानी गृहस्थ बनकर संतानोत्पत्ति कर पितृऋण से मुक्त होओ) । सत्य के प्रति प्रमाद (भूल) न होवे, अर्थात् सत्य से मुख न मोड़ो । धर्म से विमुख नहीं होना चाहिए । अपनी कुशल बनी रहे ऐसे कार्यों की अवहेलना न की जाए । ऐश्वर्य प्रदान करने वाले मंगल कर्मों से विरत नहीं होना चाहिए । स्वाध्याय तथा प्रवचन कार्य की अवहेलना न होवे । देवकार्य तथा पितृकार्य से प्रमाद नहीं किया जाना चाहिए ।

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