Source
This famous saying called as “विनाशकाले विपरीतबुद्धिः” , it is taken from Chanakya Niti (चाणक्यनीती) chapter 16 verse 5
Meaning
न निर्मिता केन न दृष्टपूर्वा न श्रूयते हेममयी कुरङ्गी ।
तथाऽपि तृष्णा रघुनन्दनस्य विनाशकाले विपरीतबुद्धिः॥
-सोने की हिरणी न तो किसी ने बनायी, न किसी ने इसे देखा और न यह सुनने में ही आता है । फिर भी रघुनन्दन की तृष्णा देखिये ! वास्तव में विनाश का समय आने पर बुद्धि विपरीत हो जाती है ।
– No one has ever created, seen or heard of a golden deer still Lord Ram wished for it. Truly adversity kills intelligence or Misfortune spoils the mind.