बद्धो हि को यो विषयानुरागी
को वा विमुक्तो विषये विरक्तः।
को वाऽस्ति घोरो नरकः स्वदेह-
स्तृष्णाक्षयः स्वर्ग पदं किमस्ति॥
बँधा हुआ कौन है? जो विषयों में आसक्त है।
मुक्त कौन है? जो विषयों से विरक्त है।
घोर नरक क्या है? अपना शरीर ही घोर नरक है।
स्वर्ग का पद क्या है? तृष्णा का नाश ही स्वर्ग पद है ।