यदि भोग ही उद्देश्य हैं

यदि इस संसार मे विषयो को भोग लेना ही उद्देश्य होता, तो पहले विषय को भोगकर ही हम तृप्त हो जाते ।

यदि भोग ही उद्देश्य हैं , तो इन भोगो का कभी भी क्षय नहीं होता और न ही भोक्ता मरणधर्मा होता ।

न ही वो कार्य कभी निष्फल होते, जो इन भोगो की प्राप्ति के लिये किये गये हो ।

#Vedanta

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