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Guna

Guna (गुण) is a Sanskrit word meaning “quality”. There are three gunas, collectively called as triguna (त्रिगुण)

These three gunas has impact on the nature and all living beings within this world.

  • Sattva guna is associated with goodness, calmness, knowledge
  • Rajas guna is associated with desires, activity, actions and results
  • Tamas guna is associated with ignorance, inertia, attachment

Three Gunas (triguna)

सत्त्वं रजस्तम इति गुणा: प्रकृतिसम्भवा: !
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम्  !! – Bhagavata Gita 14.5

हे महाबाहो ! सत्त्व, रज और तम ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण अविनाशी देही को देह में बाँध देते हैं

How Gunas entangle Human mind

Sattva Guna

तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्।
खसङ्गेन बध्नाति ज्ञानसङ्गेन चानघ।।1 – – Bhagavata Gita 14.6

हे पापरहित अर्जुन ! उन गुणोंमें सत्त्वगुण निर्मल होने के कारण प्रकाशक और निर्विकार है। वह सुख और ज्ञान की आसक्ति से देही को बाँधता है।

Rajas Guna

रजो रागात्मकं विद्धि तृष्णासङ्गसमुद्भवम्।
तन्निबध्नाति कौन्तेय कर्मसङ्गेन देहिनम्।।- – Bhagavata Gita 14.7

हे कुन्तीनन्दन ! तृष्णा और आसक्ति को पैदा करनेवाले रजोगुण को तुम रागस्वरूप समझो। वह कर्मों की आसक्ति से शरीरधारी को बाँधता है।

Tamas Guna

तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम्।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत।। – – Bhagavata Gita 14.8

हे भरतवंशी अर्जुन ! सम्पूर्ण देहधारियों को मोहित करनेवाले तमोगुण को तुम अज्ञान से उत्पन्न होनेवाला समझो। वह प्रमाद, आलस्य और निद्रा के द्वारा देहधारियों को बाँधता है।

How to identify which Guna is strong in a person

Sattva Guna

सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन्प्रकाश उपजायते।
ज्ञानं यदा तदा विद्याद्विवृद्धं सत्त्वमित्युत।।- Bhagavata Gita 14.11

जब इस मनुष्यशरीरमें सब द्वारों-(इन्द्रियों और अन्तःकरण-) में प्रकाश और ज्ञान प्रकट हो जाता है, तब जानना चाहिये कि सत्त्वगुण बढ़ा हुआ है।

Rajas Guna

लोभः प्रवृत्तिरारम्भः कर्मणामशमः स्पृहा।
रजस्येतानि जायन्ते विवृद्धे भरतर्षभ।। – – Bhagavata Gita 14.12

हे भरतवंशमें श्रेष्ठ अर्जुन ! रजोगुणके बढ़ने पर लोभ, प्रवृत्ति, कर्मों का आरम्भ, अशान्ति और स्पृहा — ये वृत्तियाँ पैदा होती हैं।

Tamas Guna

अप्रकाशोऽप्रवृत्तिश्च प्रमादो मोह एव च।
तमस्येतानि जायन्ते विवृद्धे कुरुनन्दन।। — – Bhagavata Gita 14.13

हे कुरुनन्दन ! तमोगुण के बढ़ने पर अप्रकाश, अप्रवृत्ति, प्रमाद और मोह — ये वृत्तियाँ भी पैदा होती हैं।

What is destination of a person who dies with a particular Guna ?

Sattva Guna

यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु प्रलयं याति देहभृत्।
तदोत्तमविदां लोकानमलान्प्रतिपद्यते।। – Bhagavata Gita 14.14

जब यह जीव सत्त्वगुण की प्रवृद्धि में मृत्यु को प्राप्त होता है, तब उत्तम कर्म करने वालों के निर्मल अर्थात् स्वर्गादि लोकों को प्राप्त होता है।।

Rajas and Tamas Guna

रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते।। – – Bhagavata Gita 14.15

रजोगुण के बढ़ने पर मरनेवाला प्राणी मनुष्ययोनि में जन्म लेता है तथा तमोगुण के बढ़ने पर मरनेवाला मूढ़योनियों में जन्म लेता है।

Results of Guna

कर्मणः सुकृतस्याहुः सात्त्विकं निर्मलं फलम्।
रजसस्तु फलं दुःखमज्ञानं तमसः फलम्।। – – Bhagavata Gita 14.16

शुभ-कर्म का तो सात्त्विक निर्मल फल कहा है, राजस कर्म का फल दुःख कहा है और तामस कर्म का फल अज्ञान कहा है।

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