मानव जीवन का उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति है। इन चारों की प्राप्ति तभी संभव है, जब वैदिक विधान से पंच महायज्ञों को नित्य किया जाये। पंच महायज्ञ का उल्लेख ‘मनुस्मृति’ में मिलने पर भी उसका मूल यजुर्वेद के शतपथ ब्राह्मण हैं।

जो वैदिक धर्म में विश्वास रखते हैं, उन्हें हर दिन ये 5 यज्ञ करते रहने के लिए मनुस्मृति में निम्न मंत्र दिया गया है-

‘अध्यापनं ब्रह्म यज्ञः पित्र यज्ञस्तु तर्पणं |
होमोदैवो बलिर्भौतो न्रयज्ञो अतिथि पूजनं || –  मनुस्मृति 3/70

जो पंच महायज्ञ महत्त्वपूर्ण माने गये हैं, वे निम्नलिखित हैं-

  1. ब्रह्मयज्ञ (स्वाध्याय)
  2. देवयज्ञ (होम)
  3. पितृयज्ञ (पिंडक्रिया)
  4. भूतयज्ञ (बलि वैश्वेदेव)
  5. अतिथियज्ञ

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