महर्षि वशिष्ठ
महर्षि वशिष्ठ

How river Beas was named ?

कल्माषपादका नामक राक्षस ने महर्षि वशिष्ठ के पुत्र महर्षि शक्ति को जब मार डाला, तब पुत्र के शोक मे महर्षि वशिष्ठ अपने शरीर को बांधकर नदी मे कूद पडे।उस नदी ने महर्षि के बधंन काटकर, तटपर लाकर छोड़ दिया ।

उत्ततार ततः पाशैर्विमुक्तः स महानृषिः ।
विपाशेति च नामास्या नध्याच्श्र्क्रे महानृषिः – (महाभारत , आदि पर्व , चैत्ररथपर्व , अध्याय 176)

तब पाश मुक्त हो महर्षि ने जलसे निकलकर, उस नदी का नाम ‘ विपाशा (व्यास) ‘ रख दिया।

* विपाश means – To set free

How river Sutlej was named ?

इसी तरह शोकातुर हो, घूमते हुए एक ओर नदी को देखा । उस नदी मैं स्वयं को डाल दिया ।

सा तमग्निस्रमं विप्रमनुचिन्त्य सरिद्वरा ।
शतधा विद्रुता यस्माच्छतद्रुरिति विश्रुता – (महाभारत , आदि पर्व , चैत्ररथपर्व , अध्याय 176)

वह श्रेष्ठ नदी महर्षि को तेजस्वी जान सैकड़ों धाराओं मे भाग चली, इसलिए वह ‘शतद्रु’ ( Sutlej ) नाम से विख्यात हुई ।

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